सारे बंधन तोड़ के कान्हा,
तुमसे लगाई आस.
कहना मान लो मनमोहन,
ज़रा सुन लो अरदास।
जग कहे है मनमोहन तुम्हे,
तुम हो मेरे नंदलाल।
अंगुली पर गोवर्धन उठा,
कहलाये गोपाल।
इंद्र की मनमानी का बहुत,
हो गया यहां उपहास,,,,,,,
कहना मान ................
तुम्हारी मन मोहनी मूरत,
तुम्हारे शोभते से अंग.
गीत गायें करे गोपियाँ मनुहार,
संग करे गोपाल सत्संग।
न दूर तुम जाओ मोहन,
रहो तुम हमारे पास,,,,,,
कहना मान ………
हाथों में तुम्हारे वेणु सजे ,
गले में वैजयंती माल.
तुम्हारे पाँव लगे रेणु,
कस्तूरी तिलक है भाल.
सदा मैं नाम लूँ तुम्हारा,
हो पास ये आभास,,,,,,,,
कहना मान ……
तुम्हारे प्यार की इक बूँद,
खिलाये मन हरियल दूब.
खिल गयीं ओस में कलियाँ,
भागी जीवन की कड़वी ऊब.
जब तुम पास हो मेरे,
तो क्यों हो मन उदास ,,,,,,,,,,,,,
कहना मान ……''तनु''