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Kaavya
Saturday, August 9, 2014
ये
किरण लकीर सी चली, --जा बूँद में बनी इन्द्रधनुष ,
कल्पना कवि की साकार हुई, --जब धुला मन का कलुष ,
खुशियों के चमन खिल गये,------- आई जीवन में बहार !!!
देख लो !!! हर कोई ही चाहे आशाओं का इन्द्रधनुष !.... ''तनु ''
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