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Saturday, August 16, 2014



शब्द सवेरा ! शब्द साँझ ! एक बाँसुरी बाँस की ,
नयन मूंदे अधर धरे कान्हा बाँसुरी साँस की !!
मोह गोपियों का, मोहित गोकुल का, साँवरा !!!
मैं अधीर! न धरुं धीर !!! रही बेकल उच्छवास की.!!! ''तनु ''

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