बालक ने जिम्मेदारियाँ- ओढ़ ली,
जनम भर कर्ज की चादर ओढ़ ली।
गुनाह ये कैसा उससे क्यों कर हुआ ?
खुशियों की डगर से राहें -- मोड़ ली। .... ''तनु ''
जनम भर कर्ज की चादर ओढ़ ली।
गुनाह ये कैसा उससे क्यों कर हुआ ?
खुशियों की डगर से राहें -- मोड़ ली। .... ''तनु ''
No comments:
Post a Comment