थोड़ी सी मस्ती मेरी भी ........................
सुर्ख गुलाब सा नूरानी चेहरा केला का छिलका हुआ ,…… विभाजी की पंक्तियाँ
लीपापोती ऊपर से थी सड़ा आम था पिलका हुआ !
गिरता पड़ता जा पहुँचा वह सजनिया के द्वार !!!
चढ़ा रखी कुछ उसने अस्थिपिंजर था हिलता हुआ ! ......."तनु"
No comments:
Post a Comment