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Tuesday, August 5, 2014


थोड़ी सी मस्ती मेरी भी ........................

सुर्ख गुलाब सा नूरानी चेहरा केला का छिलका हुआ ,…… विभाजी की पंक्तियाँ 
लीपापोती पर से थी सड़ा आम था पिलका हुआ !
गिरता पड़ता जा पहुँचा वह सजनिया के द्वार !!!
चढ़ा रखी कुछ उसने अस्थिपिंजर था हिलता हुआ !  ......."तनु" 

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