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Friday, August 29, 2014

लोलुप मन !
अनगिन लालच,,,
 मोह पीड़ित !!

माया मरे न !
दलदल में फँसा ……
मन मरे न !!'' तनु ''

पट न पायी,
उधेड़बुन रही,,,,, 
माया ठगिनी !!!''तनु ''

 भर उंडेले ,,,,, 
गागर में सागर!!!
 कवि  हृदय। ''तनु ''

चाहत रही ,
धूम्रवर्णा  विदुषी !!!
उलझा रही ,,,''तनु ''

अज्ञात चाह , 
कपट की रपट !!!
पट झीना सा ,,,''तनु ''

निनाद सुन,
अनहद अथक !!!
सगुन गुन ,.... ''तनु ''

ब्रह्म तेजस, 
ब्रम्हा विष्णु महेश !!!
ॐकार सत्य ,.... ''तनु ''

ज्ञान महिमा !!!
गुरु बिन अधूरी, 
निगुरा गुन। …'' तनु ''

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