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Friday, August 1, 2014

है ख्वाहिश रक्ताभ हो  बन पलाश दहकूँ ,
मैं बुलबुल बन बाग़ की डाली डाली चहकूँ,
तितली बन उडूं फूलों के बिस्तर सोऊँ !!!
कभी फूल बन जाऊं खुशबू बिखेरूं महकूँ। … 'तनु'

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