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Tuesday, August 26, 2014

सुप्रभात !!!

कक्का पढ़ने आये सूरज भोर की नई किरण के साथ !
नभ नीला है नीले आखर नरम हो गयी किरण प्रभात !!


नीले आकाश ने बिखराये ज्ञान के आखर नीले !
भोर की पहली किरण आई  किये सुनहरे पीले!!
लो अन्धकार ने समेट ली  काली चादर अपनी !
कहता है सवेरा आ चल खुशियों के साथ जी ले!!





कोरा क है नया नकोर!
ख  से खिल गयी है भोर!!
ग से गणपति को मनाओ!!!
घ घुप्प अँधेरे को भगाओ!!!!....

चमक सदा चरित्र की कायम,
छूना हरी ------दूब मुलायम !
जलन के मारे कभी न बनना ,
आन झंडे -की सदा ही रखना !!

ट से टिम टिम करते तारे ,
ठुमक के झूम नाचे नज़ारे !!
नगाड़े बजे या बजते ढोल ,
डमरू प्यारा बम बम बोल !!

त से तानपुरे के स्वर,
थ से थमे नहीं निर्झर!
द से दादी सबको प्यारी,
ध से धान साग की क्यारी!
न से नानी की बलिहारी!!

पुलक के जीना-- सुंदर जीना !
फल की आशा कभी न करना !!
बात का बतंगड़-- बुरी बात है !
भूल जाओ जो-- -बात घात है !!
मंदिर जा के ----शंख बजाओ !
माँ की बात----- न बिसराओ !!

आठों याम दिनचर्या सुन्दर ,
रहो चौकन्ना प्रहरी जगकर !!
लाल देश के तुम कहलाना ,
वक्त चलता --चलते जाना !!
शाम श्याम की भक्ति करना ,
षड्विकारों से-- सदा ही बचना !!

सद्कर्मों की ----राह भली है ,
हाय -हाय की क्या जिंदगी है! 
क्षमा करो - जो हो जाए भूल,
त्रुटि में माफी --- करो कबूल !!
ज्ञानी बनों ---- हटाओ  शूल ,
जिंदगी में -----   पाओ फूल !!!…''तनु ''



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