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Thursday, July 30, 2015

जिस्म के साथ दिल पिघलते हैं ;
दोस्तों गुल, . लब पर खिलते हैं !

तड़पती चाह आफतों की है ;
आप हैं राह अपनी' चलते हैं !

जानते हो इक सपन तुम्ही हो ?
आँख भर सजन सपन पलते हैं ! 

चाँद रक्साँ नदी कभी सोई ?
छूकर अदम सभी बहलते हैं !

सर मिरा आज तेरे' शाने पर ; 
शाह रुत्बा दिल खुद मिलते हैं !

जो वस्फ़ पाकर चुप है तनुजा ; 
वो ज़मीर बेवजह' उछलते हैं !!!… तनुजा ''तनु ''

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