जिस्म के साथ दिल पिघलते हैं ;
दोस्तों गुल, . लब पर खिलते हैं !
तड़पती चाह आफतों की है ;
आप हैं राह अपनी' चलते हैं !
जानते हो इक सपन तुम्ही हो ?
आँख भर सजन सपन पलते हैं !
चाँद रक्साँ नदी कभी सोई ?
छूकर अदम सभी बहलते हैं !
सर मिरा आज तेरे' शाने पर ;
शाह रुत्बा दिल खुद मिलते हैं !
जो वस्फ़ पाकर चुप है तनुजा ;
वो ज़मीर बेवजह' उछलते हैं !!!… तनुजा ''तनु ''
वो ज़मीर बेवजह' उछलते हैं !!!… तनुजा ''तनु ''
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