पग नी धरयो मग में घणों दूरो है गाँव
अंधारा री रात वीती चालो आगे है ठाँव
भणवा वारा भणजो ने लिखवा वारा लिखजो
संत, ग्यानी, महात्मा री मिलती रेवे छाँव
अंधारा री रात वीती चालो आगे है ठाँव
भणवा वारा भणजो ने लिखवा वारा लिखजो
संत, ग्यानी, महात्मा री मिलती रेवे छाँव
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