कुछ पल ही गुजरे हुए, रख्त-ए-सफर है ;
आँखें कई लगी हुई, अहल-ए-नजर है!
लब -ए -दरिया हकीकत में चार कदम ही , ,,
सम्भलो के लोग हुए बाजार-ए-हुनर हैं!!,,,,,,तनुजा ''तनु ''
आँखें कई लगी हुई, अहल-ए-नजर है!
लब -ए -दरिया हकीकत में चार कदम ही , ,,
सम्भलो के लोग हुए बाजार-ए-हुनर हैं!!,,,,,,तनुजा ''तनु ''
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