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Sunday, January 17, 2016



हिम्मते मरदां मददे खुदा 


गुलों के मुक़ाबिल, न कोई हुआ ;
छली के दिल, मिली न कोई दुआ ! 

मुद्दतों बढ़ा, जुनूँ और तिश्नगी ; 
कनार-ए-आबजू, दरिया न कोई हुआ !

कश्ती न भरोसा साहिल का कभी ;
जुनू साथ था शहपर न कोई हुआ !

उजाड़े खिजाँ दरख्तों से पत्ते ;
नहीं ये रुत सावन न कोई हुआ !

उसे थी हसरत रब के दीदार की ;
तब आँखों में दूजा न कोई हुआ !!..... तनुजा ''तनु ''

कनार-ए-आबजू = पानी का सोता 
शहपर  = मजबूत परों वाला 

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