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Sunday, January 31, 2016

झीनी रे चदरिया 

चादरों के ढेर में चादर इक' मेरी,  बहुत मैली ;
कौन चोर चुरा चला,  नभ से सितारों की सहेली !
टूट जाएगी इक पल में ही सरगम साँस की अब , ,,
कब मिटा नूर  जरा' ने घेरा  तन भूल गया केलि!! ...तनुजा ''तनु ''

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