निर्धनता
बचपन गया ख़ातिर कमाई, किसे पीड़ा दिखाऊँ ;
भूख के मारे मन बिलखता किसे वीणा सुनाऊँ !
गिरह न खुलेगी उम्र बीते,... रहेंगे प्रश्न अधूरे ,
नयन सूने सपन छौने, कैसे' साकार कर जाऊँ ??
बचपन गया ख़ातिर कमाई, किसे पीड़ा दिखाऊँ ;
भूख के मारे मन बिलखता किसे वीणा सुनाऊँ !
गिरह न खुलेगी उम्र बीते,... रहेंगे प्रश्न अधूरे ,
नयन सूने सपन छौने, कैसे' साकार कर जाऊँ ??
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