Labels

Tuesday, January 19, 2016

निर्धनता

बचपन गया ख़ातिर कमाई, किसे पीड़ा दिखाऊँ ; 
भूख के मारे मन बिलखता किसे वीणा सुनाऊँ !
गिरह न खुलेगी उम्र बीते,...  रहेंगे प्रश्न अधूरे ,
नयन सूने सपन छौने,  कैसे' साकार कर जाऊँ ??  

No comments:

Post a Comment