विधना
विधना ही खोलते पोटली, काल की ;
ले भी जायें दे कर जाते , साल की !
इसमें कुछ मोती अनबिंधे दुखों के , ,,
बिंधे सुख मोती मानव के, भाल की !!
विधना ही खोलते पोटली, काल की ;
ले भी जायें दे कर जाते , साल की !
इसमें कुछ मोती अनबिंधे दुखों के , ,,
बिंधे सुख मोती मानव के, भाल की !!
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