थकता दीप कहाँ था सोया ,
सूखी पलक शुष्कता रोया ?
वर्तिका नेह प्राणपगी थी , ,,
तन भी था अनुराग भिगोया। .. थकता दीप कहाँ था सोया ,
मूक प्राण में व्यथानहीं थी ,
धूम रेख की कथा नहीं थी !
प्रणय लौ का प्रेम निवेदन , ,,
लहराती सी वृथा नहीं थी !!
उज्जवल शिखा शिखरिणी,
मुख म्लान मलिन था धोया। ..... थकता दीप कहाँ था सोया ,
कज्जल कूट धारा जिसने ,
यों तनूनपात वारा जिसने !
तम बवंडर ले आगोश में , ,,
सकल विश्व उजारा जिसने !
मयंक भामिनि के अंक के
ज्यों शशि शिव भाल संजोया। .. थकता दीप कहाँ था सोया ,
तू मौन प्रहरी ज्योति का ,
तू दृश्य नयन द्युति का !
हर लेता तिमिर हृदयंगम , ,,
तू दानी प्रखर ज्योति का !
जीवन में पलपल जल कर ,,
तूने प्रकाश पुंज है ढोया ..
थकता दीप कहाँ था सोया। ... ''तनु ''
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