मनडा में आवै विचार सखी ;
कसा वे ग्या व्यवहार सखी !
कसी बदली गई या दुनिया ;
ने बदली ग्या आचार सखी !
पहचान मुखौटा खोई गई ;
लगाऊँ किणने गुहार सखी !
दुष्ट आततायी जीती ग्या :
मासूम निरीह शिकार सखी !
सब रा आगे साँच रो परचम ;
रई ग्यो पाछे क्यों हार सखी !
लोई आपणों मुंगो थो;
रह्यो क्यों नी वफादार सखी !
बुनियाद आपणी काची घणी ;
लो वई ग्यो बंटाढार सखी !!... ''तनु ''
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