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Thursday, November 16, 2017

मनडा में आवै विचार सखी ;


मनडा  में आवै विचार सखी ;
कसा वे  ग्या  व्यवहार सखी !

कसी  बदली गई  या  दुनिया ;
ने बदली ग्या आचार सखी !

पहचान मुखौटा खोई  गई ;  
लगाऊँ किणने गुहार सखी !

दुष्ट आततायी जीती ग्या :
मासूम निरीह शिकार सखी !

सब रा आगे साँच रो परचम ;
रई ग्यो पाछे क्यों हार सखी !

लोई आपणों मुंगो थो; 
रह्यो क्यों नी वफादार सखी !

बुनियाद आपणी काची घणी ;
लो  वई ग्यो बंटाढार सखी !!... ''तनु ''

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