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Monday, November 27, 2017

जब तू आँधी में घबराये



जब तू आँधी में घबराये ;
पानी में जब घर बह जाए !
 घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ , ,,
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ !!

चींचीं चूँ चूँ कर उड़ जाए ;
नन्हे के तू हाथ न आये !
दाना डालूं खूब रिझाऊँ , ,,
बोल चिरैया कैसे मनाऊँ !! 
घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ 
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ ,

तू हमारी पर्यावरण मित्र ;
देखूं  तेरे मैं कितने चित्र !
तुझ जैसा मैं गा ना पाऊँ , ,,
तुझ जैसा मैं उड़ ना पाऊँ!!  
घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ 
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ ,

कितनी गर्मी सर्दी कितनी ;
और फिर वर्षा भी इतनी !
तिनके पत्ते सूत जुटाऊँ , ,,
तुझसा घर बना ना पाऊँ !!
घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ 
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ, 

तेरी मेहनत ज्यादह मुझसे ;
तेरी पीड़ा  ज्यादह मुझसे !
नन्ही जान कैसे बहलाऊँ , ,,
तुझ सी संत न मैं बन पाऊँ!!
 घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ 
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ , ,,   ''तनु ''

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