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Kaavya
Sunday, November 5, 2017
तितली के मन के उदगार धूप के साथ चुहल
धीमी धीमी ठंढी सी है तू
दीवार पर सहमी सी है तू
पात को तूने, मैंने तुझे छुआ
कुछ देर की पाहुनी सी है तू। . ''तनु ''
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