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Thursday, November 9, 2017

धुँए धूल की जो हमने आरज़ू कर ली




धुँए धूल की जो हमने आरज़ू कर ली ; 
बुरा ही किया जो ऐसी जुस्तजू कर ली !

ये जज़्बा है लगाते इक दूजे इल्ज़ाम ?
 के खुश हैं खूब गन्दगी की ख़ू कर ली ,

पर्यावरण छतरी टूटी तपन सही जाए ना ;

कुछ देर बैठ ए. सी. में हाँ और हूँ कर ली !

मोहताज हम आराम के चाह खुशियों की ;

आहिस्ता ही सही कयामत रु-ब-रु कर ली !

शह-ए -ख़ूबाँ हम डरते न अब किसी से ;

ज़र्रा ज़र्रा अस्काम आग हर सूं कर ली !!... ''तनु''

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