बुरा ही किया जो ऐसी जुस्तजू कर ली !
ये जज़्बा है लगाते इक दूजे इल्ज़ाम ?
के खुश हैं खूब गन्दगी की ख़ू कर ली ,
पर्यावरण छतरी टूटी तपन सही जाए ना ;
कुछ देर बैठ ए. सी. में हाँ और हूँ कर ली !
मोहताज हम आराम के चाह खुशियों की ;
आहिस्ता ही सही कयामत रु-ब-रु कर ली !
शह-ए -ख़ूबाँ हम डरते न अब किसी से ;
ज़र्रा ज़र्रा अस्काम आग हर सूं कर ली !!... ''तनु''
पर्यावरण छतरी टूटी तपन सही जाए ना ;
कुछ देर बैठ ए. सी. में हाँ और हूँ कर ली !
मोहताज हम आराम के चाह खुशियों की ;
आहिस्ता ही सही कयामत रु-ब-रु कर ली !
शह-ए -ख़ूबाँ हम डरते न अब किसी से ;
ज़र्रा ज़र्रा अस्काम आग हर सूं कर ली !!... ''तनु''
No comments:
Post a Comment