ऐ मेरे मन दीपक जल ,
ऐ मेरे मन दीपक जल ,
तूने उजारा है मेरे,
अंधियारे मन का महल !
तेरी बाती जलती है
रवि सी अनवरत ऐसे
तेरी चमक में मुझको
मिलती है दुआएँ जैसे
मेरी राहों में बिखरे हैं
कई कोमल से कँवल !! .... ऐ मेरे मन दीपक जल
कभी रोऊँ मैं हँस दूँ
कभी करता इंतजार
यहीं काँटे यहीं गुल हैं
यहीं आती है बहार
मस्ती भरी आँखों में
कभी बरसते बादल !!.. ऐ मेरे मन दीपक जल
तू जो साथ चले तो
ये दिल नगमें गाये
जड़ में जीवन हो
और पात भी लहरा जाए
लहरा बुझना ना कभी
देख मेरा जाये ना बल !!... . ऐ मेरे मन दीपक जल... ''तनु ''
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