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Friday, April 13, 2018
सियासतदान की नज़र, इक दूजे के थाल !
सियासतदान की नज़र, इक दूजे के थाल !
टुकड़ों पर गुर्गे पले , खूब उड़ रहे माल !!
खूब उड़ रहे
माल, नज़रें बेटियों पर है,
भरे हुए हैं
थाल,
गिद्ध निगाहें मगर है , ,,
शामिल अंधी दौड़,
झूठे समर्थक महान !
मानवता दी छोड़,
हमारे सियासतदान !!... ''तनु ''
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