जाइ वे बेट्याँ तो पीर बेट्याँ री समझो ;
पराई वे बेट्याँ तो पीर बेट्याँ री समझो !
ऐसो के है एक दन घूड़ा रा दन पलटे , ,,
थां फेंकी बेट्याँ तो पीर बेट्याँ री समझो !!
कोठरी काजल री तो काळा से वंचजो
निभाई वे बेट्याँ तो पीर बेट्याँ री समझो !
लम्बी चौड़ी वातां रो कई सार नई हे ;
सताई वे बेट्याँ तो पीर बेट्याँ री समझो !
जानवर से वत्ता वई ग्या इंसान बणो रे
भायी वे बेट्याँ तो पीर बेट्याँ री समझो ! .... 'तनु'
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