लिखा किसने किसको मिला, उसका इंतजार है ख़त ;
दिल की हालत का देखो, कैसा ये ग़ुबार है ख़त !
झलक दिखलाता चेहरा तुम्हारा तहरीर में ;
दिल की हालत का देखो, कैसा ये ग़ुबार है ख़त !
झलक दिखलाता चेहरा तुम्हारा तहरीर में ;
फैलती कैसी बशाशत कि बना नौबहार है ख़त !
पाकर तुझे दिल की सुना, दीवानी बन फिरती हूँ ;
अजी अपने आप पर ही, जान करे निसार है ख़त !
के रंजो ग़म में मैंने, उसे सीने से लगाया ;
अगर रोने लगूँ मैं तो, रोता ज़ार-ज़ार है ख़त !
तेरी खुशबुओं में ग़ुम, तू मेरे आँसुओं में तर ;
जाने कितनी बातों का, तेरी राज़दार है ख़त !
तेरी खुशबुओं में ग़ुम, तू मेरे आँसुओं में तर ;
जाने कितनी बातों का, तेरी राज़दार है ख़त !
जलन के मारों की कभी, है आह भी जला देती ;
फेंका, जलाया, छुपा दिया, जुल्म का शिकार है ख़त !!... ''तनु''
No comments:
Post a Comment