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Sunday, April 8, 2018

लिखा किसने किसको मिला, उसका इंतजार है ख़त ;

लिखा किसने किसको मिला, उसका इंतजार है ख़त ;
दिल की हालत का देखो, कैसा ये ग़ुबार है ख़त !

झलक दिखलाता चेहरा तुम्हारा तहरीर में ; 
फैलती कैसी बशाशत कि बना नौबहार है ख़त !

पाकर तुझे दिल की सुना,  दीवानी बन फिरती हूँ ;  
अजी अपने आप पर ही, जान करे निसार है ख़त !

के रंजो ग़म में मैंने, उसे सीने से लगाया ;
अगर रोने लगूँ मैं तो, रोता ज़ार-ज़ार है ख़त !

तेरी खुशबुओं में ग़ुम, तू मेरे आँसुओं में तर ;

जाने कितनी बातों का, तेरी राज़दार है ख़त !

जलन के मारों की कभी, है आह भी जला देती ;
फेंका, जलाया, छुपा दिया, जुल्म का शिकार है ख़त !!... ''तनु''


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