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Wednesday, April 11, 2018

सुबहो शाम तेरा नाम लिया करती हूँ ;


सुबहो शाम तेरा नाम लिया करती हूँ ;
लब-ए-खा़मोश लिए जिया करती हूँ !

गुज़रा नौबहार सफ़र तनहा तनहा ;
तन्हा दिन अँधेरी रात ज़िया करती हूँ !

ये तिश्नगी मुक़द्दर बन गयी धीरे धीरे ; 
अश्क़ औ बेबसी का जाम पिया करती हूँ !

है टूटा दिल और पैबंद ज़िन्दगी में लगे ;
याद गुदड़ी में लम्हों को सीया करती हूँ ! 

हो गयी कोई ख़ता क्या मुझसे तो बता ;
बारहा यही तो पैग़ाम दिया करती हूँ !

मेरी तहरीर इक बार तो पढ़ ऊपर वाले ;
 ऐ ज़िन्दगी मैं तुझे सलाम किया करती हूँ !

'तनु' हालात की खबर उनको ना मिले ;
के मैं हूँ की नहीं गुमनाम जिया करती हूँ !!.... ''तनु''


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