सुबहो शाम तेरा नाम लिया करती हूँ ;
लब-ए-खा़मोश लिए जिया करती हूँ !
गुज़रा नौबहार सफ़र तनहा तनहा ;
तन्हा दिन अँधेरी रात ज़िया करती हूँ !
ये तिश्नगी मुक़द्दर बन गयी धीरे धीरे ;
अश्क़ औ बेबसी का जाम पिया करती हूँ !
है टूटा दिल और पैबंद ज़िन्दगी में लगे ;
याद गुदड़ी में लम्हों को सीया करती हूँ !
हो गयी कोई ख़ता क्या मुझसे तो बता ;
बारहा यही तो पैग़ाम दिया करती हूँ !
मेरी तहरीर इक बार तो पढ़ ऊपर वाले ;
ऐ ज़िन्दगी मैं तुझे सलाम किया करती हूँ !
'तनु' हालात की खबर उनको ना मिले ;
के मैं हूँ की नहीं गुमनाम जिया करती हूँ !!.... ''तनु''
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