ज्ञान पिपासा बावरी ,लखे नहीं दिन-रात !
मूरख अज्ञानी सहते, बात बात पर लात !!
रवि शशि की पोषित धरा, छाया काल अनंत !
तम की चादर सो रहे, कोटि कोटि विषदंत !!... ''तनु''
मूरख अज्ञानी सहते, बात बात पर लात !!
रवि शशि की पोषित धरा, छाया काल अनंत !
तम की चादर सो रहे, कोटि कोटि विषदंत !!... ''तनु''
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