नारी, बच्चों का हुआ , जमकर के आखेट !
शर्म खो गयी मनुज की, हुआ जंगली ठेठ !!
हुआ जंगली ठेठ , यह तो नहीं था पहले ?
बच्चों का आखेट ? सुन कर दिल रहे दहले !
शर्म खो गयी मनुज की, हुआ जंगली ठेठ !!
हुआ जंगली ठेठ , यह तो नहीं था पहले ?
बच्चों का आखेट ? सुन कर दिल रहे दहले !
छोडो ये विध्वंस, क्या मति गयी है मारी ?
मत दो ऐसे दंश , यहाँ पूजनीय नारी !!... ''तनु''
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