घट में घट को धार के, घट को दिया बनाय !
माटी निर्मल मानसी , शीतलता उपजाय !!
रीते घट की पीर को , कौन करेगा दूर !
जल बिन जल कर रह गये, सपन हो गये चूर !!
घट की ऐसी लालसा , घट रीता ना होय !
जल विहीन जो घट रहे,जल जल मरघट होय !!
ज्ञान घाट पर घट रखे, लगते सस्ते दाम !
बेचनहारा प्यास से , लेत राम का नाम !!
खोय गयी पनिहारियाँ, रीते घट है घाट !
घट छाई मजबूरियाँ , कौन रखेगा पाट !!
रीते घट की पीर हूँ , हर पल घटती श्वास !
रीता हूँ तो प्यास हूँ, भरा रहूँ तो आस !!.... ''तनु''
माटी निर्मल मानसी , शीतलता उपजाय !!
रीते घट की पीर को , कौन करेगा दूर !
जल बिन जल कर रह गये, सपन हो गये चूर !!
घट की ऐसी लालसा , घट रीता ना होय !
जल विहीन जो घट रहे,जल जल मरघट होय !!
ज्ञान घाट पर घट रखे, लगते सस्ते दाम !
बेचनहारा प्यास से , लेत राम का नाम !!
खोय गयी पनिहारियाँ, रीते घट है घाट !
घट छाई मजबूरियाँ , कौन रखेगा पाट !!
रीते घट की पीर हूँ , हर पल घटती श्वास !
रीता हूँ तो प्यास हूँ, भरा रहूँ तो आस !!.... ''तनु''
No comments:
Post a Comment