Labels

Monday, April 23, 2018

घट में घट को धार के,

घट में घट को धार के, घट को दिया बनाय !
माटी निर्मल मानसी ,    शीतलता उपजाय !!

रीते घट की पीर को ,        कौन करेगा दूर !

जल बिन जल कर रह गये, सपन हो गये चूर !! 

घट की ऐसी लालसा ,      घट रीता ना होय !

जल विहीन जो घट रहे,जल जल मरघट होय !!

ज्ञान घाट पर घट रखे,  लगते सस्ते दाम ! 

बेचनहारा प्यास से ,    लेत राम का नाम !!

खोय गयी पनिहारियाँ,  रीते घट है घाट !

घट छाई मजबूरियाँ , कौन रखेगा पाट !!

रीते घट की पीर हूँ ,  
हर पल घटती श्वास !

रीता हूँ तो प्यास  हूँ,      भरा रहूँ तो आस !!.... ''तनु''

No comments:

Post a Comment