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Wednesday, April 4, 2018

आज कैसे ये किरदार हैं जानता हूँ;

आज कैसे  ये किरदार हैं जानती  हूँ;
कौन किसका तलबगार है जानती  हूँ!

बोलता सच जान भी गर जाये मेरी ;
झूठ अब  सिपहसालार है जानती हूँ !

मौसमों की चाह थी परिंदे उड़ गए ;
कायनात ही  शाहकार है जानती  हूँ !

आँख तकती राह और दिल वीराना ;
तिश्नगी का  इज़हार' है जानती  हूँ !

नहीं देता कोई तलब से भी सिवा यहाँ ;
तौलकर बेचे,  बाज़ार हैं जानती हूँ !,,, 'तनु'



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