बार बार यूँ पुकारता क्यों है!
उजड़ता घर सँवारता क्यों है !!
ख़्वाब जन्मे न मरे जिस्म में !
फूल सूखे निहारता क्यों है !!
बाग जलता मधुमयी बहार में !
सपन नज़रों उतारता क्यों है !!
मानता है नहीं देव ड्यौढ़ी पर!
मंदिर मंदिर पुकारता क्यों है!!
रोज़ ख़ुद ही से सदा लड़ता है!
चाहतें अच्छी उजाड़ता क्यों है!!
दिल की फरियाद तो गयी खाली !
बेबस नाहक कराहता क्यों है !!
''तनु'' अब तो अबद भी हुआ अब्तर!
उसे अबस निहारता क्यों है !!...... ''तनु''
उजड़ता घर सँवारता क्यों है !!
ख़्वाब जन्मे न मरे जिस्म में !
फूल सूखे निहारता क्यों है !!
बाग जलता मधुमयी बहार में !
सपन नज़रों उतारता क्यों है !!
मानता है नहीं देव ड्यौढ़ी पर!
मंदिर मंदिर पुकारता क्यों है!!
रोज़ ख़ुद ही से सदा लड़ता है!
चाहतें अच्छी उजाड़ता क्यों है!!
दिल की फरियाद तो गयी खाली !
बेबस नाहक कराहता क्यों है !!
''तनु'' अब तो अबद भी हुआ अब्तर!
उसे अबस निहारता क्यों है !!...... ''तनु''
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