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Tuesday, April 21, 2020

दोष क्यों ढूँढना नाकाम नुक्ताचीं में

दोष क्यों ढूँढना नाकाम नुक्ताचीं में !
और भी रंग मिलते हैं आसमानी में !!

जिंदगी तू दे दिलासा इस उदासी में !
ढूँढ लूँगा मैं सुकूँ भी इस आज़ादी में !!

मुकम्मल सी कट गयी यूँ जिंदगी मेरी !
अंजुमन जो महकता उसकी निशानी में !!

बंद आँखों से ये दुनिया देख ली मैंने !
साथ तू ही तो रहा मेरी बे-नियाज़ी में !!

ओट आँखों की बड़ा है वो रहबर बहुत !
चूक ना हो जाये मुझसे बे-इहतियाती में !!

बाँह पकड़ी है साथ ''तनु'' निभाना होगा !
उम्मीदें गुम ना हो जायें बे-इख़्तियारी में !!... 'तनु''

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