अब आस नहीं कोई संत मिले,
विश्वास नहीं कोई कंत मिले !
अंगार लिए जीवन बगिया,
फिर नहीं कोई बसंत मिले !
मधुमय अभिलाषा की क्यारी में,
सुमन सलोने ना कभी खिले !
मुस्कान खो गयी अधरों की
कभी जीत सदा दिगंत मिले !.. ''तनु''
विश्वास नहीं कोई कंत मिले !
अंगार लिए जीवन बगिया,
फिर नहीं कोई बसंत मिले !
मधुमय अभिलाषा की क्यारी में,
सुमन सलोने ना कभी खिले !
मुस्कान खो गयी अधरों की
कभी जीत सदा दिगंत मिले !.. ''तनु''
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