दुश्वारियाँ चहुँ दिश हैं, खो गये ज्योति पुंज !
सारे मिलकर ढूँढते, मोहन कुञ्ज निकुंज,
मोहन कुञ्ज निकुंज, निपटे नहीं हैं मसले !!
दिखते हैं हम लुंज, नित ही झाँकते बगलें , ,,
खोये है सोपान, दिखती हैं मजबूरियाँ !
राह नहीं आसान, चहुँ दिश हैं दुश्वारियाँ !! ... ''तनु''
मोहन कुञ्ज निकुंज, निपटे नहीं हैं मसले !!
दिखते हैं हम लुंज, नित ही झाँकते बगलें , ,,
खोये है सोपान, दिखती हैं मजबूरियाँ !
राह नहीं आसान, चहुँ दिश हैं दुश्वारियाँ !! ... ''तनु''
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