चिंतन टूटा मनवा खोया, भटक गयी हैं राह !
यादों के गहरे सागर की, कितनी गहरी थाह ?
कभी रुदन कभी हँसी मिलती, कभी मौन संसार, ,,
कितना सोचूँ कितना भूलूँ , कोई जाने चाह ! .... ''तनु''
यादों के गहरे सागर की, कितनी गहरी थाह ?
कभी रुदन कभी हँसी मिलती, कभी मौन संसार, ,,
कितना सोचूँ कितना भूलूँ , कोई जाने चाह ! .... ''तनु''
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