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Monday, June 8, 2020

मंदिर मंदिर अब भी आना

मंदिर मंदिर अब भी आना
पलकें खोलूँ तब भी आना
आज खुलेंगे तेरे दर जब
आँखें मुंदूँ तब भी आना

ख़ुद को खोना भूल गया हूँ
ख़ुद को पाना भूल गया हूँ
साँसें ही जब खोयी पायी
तुझको जपना भूल गया हूँ
गरम धरा उबले सागर पर
पावन सा बन जब भी आना
पलकें खोलूँ तब भी आना
आँखें मुंदूँ तब भी आना .. मंदिर मंदिर अब भी आना

शाम सवेरे दीप जलालूँ

तेरी ही तो राह निहारूँ
आशा मेरी तू आयेगा
छलिया कान्हा तुझे बुला लूँ
लेकर वंशी की तानें तू
यमुना तट पर जब भी आना
पलकें खोलूँ तब भी आना
आँखें मुंदूँ तब भी आना.. मंदिर मंदिर अब भी आना

लाल गुहर ना लगे अनूठे

पता नहीं तू कब तक रूठे
जान गया सारा जहान है
दुनिया के सुख दुख हैं झूठे
मेरी नैया पार लगा दो
शरणागत हूँ जब भी आना
पलकें खोलूँ तब भी आना
आँखें मुंदूँ तब भी आना .. मंदिर मंदिर अब भी आना ... 'तनु'


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