जो था खोया मिला ही नहीं !
रिसता जख़म सिला ही नहीं!!
सुलगे तन या के ख़ूं उबले!
दिल अंगार उगला ही नहीं!!
राह तकते उम्मीद टूटी!
रास्ते से वो निकला ही नहीं !!
ख्वाब बुनती रही जिंदगी !
सपन बिखर सम्भला ही नहीं !!
हसरतें घुटती रहीं जी की!
बेक़ाबू मन फिसला ही नहीं!!
होंठ चुप चुप लरजते रहे!
कुछ जुबाँ से निकला ही नहीं!!
आँख समझी ना आँसू देखे!
वो सितमगर पिघला ही नहीं!!
है समंदर सा मन मेरा !
गहरा ''तनु'' उथला ही नहीं !!.... ''तनु''
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