कुदरत से इंसान है , मत करो खिलवाड़ !
हरियाली नाहीं उगे, सीमेंट के पहाड़ !!
कुदरत की तासीर को , समझ अरे इंसान !
हरियाली है जब तलक , खिले रहे उद्यान !!
जलवायु प्रदूषित है, सूखे कुंँए तालाब !
शुद्ध हवा पानी बिना, कैसे पूरे ख्वाब !!
जंगल विटप उजाड़ के, उपजता घना क्लेश !
बच ही पाएँ फिर कहीं, मानव के अवशेष !!
मानव तेरी गलतियाँ , धरती धारे धीर !!
ज्यों ज्यों प्रदूषण बढ़ता, बढ़ती जाती पीर!! ... 'तनु'
मानव तेरी गलतियाँ , धरती धारे धीर !!
ज्यों ज्यों प्रदूषण बढ़ता, बढ़ती जाती पीर!! ... 'तनु'
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