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Friday, June 5, 2020

कुदरत से इंसान है

कुदरत से इंसान है , मत करो खिलवाड़ !
हरियाली नाहीं उगे, सीमेंट के पहाड़ !!

कुदरत की तासीर को , समझ अरे इंसान !
हरियाली है जब तलक , खिले रहे उद्यान !!

जलवायु प्रदूषित है, सूखे कुंँए तालाब !
शुद्ध हवा पानी बिना, कैसे पूरे ख्वाब !!

जंगल विटप उजाड़ के, उपजता घना क्लेश !
बच ही पाएँ फिर कहीं, मानव के अवशेष !!

मानव तेरी गलतियाँ , धरती धारे धीर !!
ज्यों ज्यों प्रदूषण बढ़ता, बढ़ती जाती पीर!! ... 'तनु'


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