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Tuesday, June 23, 2020

भूखी हैं सारी बस्तियाँ बंजर में सैलाब है !

भूखी हैं सारी बस्तियाँ बंजर में सैलाब है !
फाकों की फ़िक्र और टूटते से ख़्वाब हैं !!

झरती है सारी पत्तियाँ,उदास तितलियाँ !
शाखों की फ़िक्र और सूखते से आब हैं !!

भूखे नंगों की भीड़ कई बेसहारा लोग !
लाखों की फ़िक्र और पापी से सवाब हैं !!

पूरे हुए न वादे रही अधूरी ख्वाहिशें !
बातों की फ़िक्र और उलझे से जवाब हैं !!

सामना होते 'तनु' मुँह तो मोड़ लेंगे वो !
वादों की फ़िक्र और न हमसे आदाब है !!... ''तनु''

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