शब्दों का अवसान हुआ है, भाव अभी तक सुप्त रहे!
लेखनिका मुँह फेर रही है, कोरे काग़ज़ लुप्त रहे!!
अवसान हुआ, आविर्भाव हो, अंत खत्म,हो उद्भव हो, ,,
माँ तेरा साधक लब्धप्रतिष्ठ, फिर शब्द क्यों गुप्त रहे!!..... ''तनु''
लेखनिका मुँह फेर रही है, कोरे काग़ज़ लुप्त रहे!!
अवसान हुआ, आविर्भाव हो, अंत खत्म,हो उद्भव हो, ,,
माँ तेरा साधक लब्धप्रतिष्ठ, फिर शब्द क्यों गुप्त रहे!!..... ''तनु''
No comments:
Post a Comment