Labels

Tuesday, June 2, 2020

काश !


जो था खोया  काश मिलता !
रिसता जख़म काश सिलता !!

तन सुलगता ख़ूं उबलता  !
दिल अंगार  काश उगलता   !!

तकते तकते आँखें  पत्थर  
पथ से वो काश निकलता !!

कैसे ख्वाब बुने जिंदगी !
सपनें में वो काश मचलता !!

हसरतें घुटती रहीं जी की!
बेक़ाबू मन काश फिसलता !!

होंठ चुप से लरजते रहे !
कुछ जुबाँ से काश निकलता !!

आँख समझी ना आँसू देखे!
वो सितमगर काश पिघलता !!

गहरे सागर सा मन मेरा !
फिर ''तनु'' काश उछलता !!.... ''तनु''

No comments:

Post a Comment