जा फँसा मेरा सफीना, भावनाओं के भंवर में!
घर मेरा रहा नगीना , जिंदगी तेरे सफर में!!
कायदा भूला नहीं मैं, मिला सुकून ईमान से, ,,
यूँ हुआ मैं भी मदीना, इंसानियत की डगर में!!... ''तनु''
घर मेरा रहा नगीना , जिंदगी तेरे सफर में!!
कायदा भूला नहीं मैं, मिला सुकून ईमान से, ,,
यूँ हुआ मैं भी मदीना, इंसानियत की डगर में!!... ''तनु''
No comments:
Post a Comment