धूप बिखरा के तमाम कैसा इम्तहाँ तेरा !
के बसर कठिन पर यही है गर फ़त्वा तेरा!!
मौजें दरिया छीनी और उम्र-ए -रवानी भी !
ना तोड़ किसी को रह पाए भी जलवा तेरा!!
बेदर्द क्यों सारे हुए बेदाग़ ही थे अच्छे!
कद्रदां था तू ही और था हर नौजवां तेरा!!
सबकी खुशियाँ लेकर खुशी मनाना न था!
इतना बेफिक्र क्यों हुआ ये हमनवा तेरा!!
सिफ़र से अरबों, अरबों से सिफ़र और धुँआ!
तू है या के नहीं, यूँ ही होता गुमाँ तेरा!!
ताल कोई तेरी, नाच नचा ले ऊपर वाले!
तीन ताल, झपताल, रूपक हो कहरवा तेरा!!
जो दिया हँस के मंजूर करता ही गया दिल!
रहा ऐसा इम्तहाँ तेरा दर्द ही दवा तेरा!!
कोई 'तनु' पूछे तो कह दूँगा तू अदीब मेरा !
जैसा हूँ तेरा हूँ, मैं तेरा और ये जहां तेरा!!..''तनु''
के बसर कठिन पर यही है गर फ़त्वा तेरा!!
मौजें दरिया छीनी और उम्र-ए -रवानी भी !
ना तोड़ किसी को रह पाए भी जलवा तेरा!!
बेदर्द क्यों सारे हुए बेदाग़ ही थे अच्छे!
कद्रदां था तू ही और था हर नौजवां तेरा!!
सबकी खुशियाँ लेकर खुशी मनाना न था!
इतना बेफिक्र क्यों हुआ ये हमनवा तेरा!!
सिफ़र से अरबों, अरबों से सिफ़र और धुँआ!
तू है या के नहीं, यूँ ही होता गुमाँ तेरा!!
ताल कोई तेरी, नाच नचा ले ऊपर वाले!
तीन ताल, झपताल, रूपक हो कहरवा तेरा!!
जो दिया हँस के मंजूर करता ही गया दिल!
रहा ऐसा इम्तहाँ तेरा दर्द ही दवा तेरा!!
कोई 'तनु' पूछे तो कह दूँगा तू अदीब मेरा !
जैसा हूँ तेरा हूँ, मैं तेरा और ये जहां तेरा!!..''तनु''
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