आईं हैं तितलियाँ ,
बाबुल के आँगन में!
ठंडी हवा ये आई है,
बाबुल के आँगन में
छिटकी डाली से पक कर,
निम्बोली पीली!!
अम्बुआ महका है
बाबुल के आँगन में.…
दिन आये सावन के,
बाबुल के आँगन में
झूले डले अम्बुआ डाल,
बाबुल के आँगन में
अबके सावन कहीं
और न रहूँगी मैं,
जाउंगी जहाँ नाचे मोर!!
बाबुल के आँगन में.……
दादी के पोपले मुंह आशीष !
बाबुल के आँगन में,
मूंगफली के खेत उड़ती फुहारें
बाबुल के आँगन में
गुड धाणी झोली भर खूब !!
आती कोयल गीत गाये ,
गाती जाए,
बाबुल के आँगन में .........''तनु ''.
बाबुल के आँगन में!
ठंडी हवा ये आई है,
बाबुल के आँगन में
छिटकी डाली से पक कर,
निम्बोली पीली!!
अम्बुआ महका है
बाबुल के आँगन में.…
दिन आये सावन के,
बाबुल के आँगन में
झूले डले अम्बुआ डाल,
बाबुल के आँगन में
अबके सावन कहीं
और न रहूँगी मैं,
जाउंगी जहाँ नाचे मोर!!
बाबुल के आँगन में.……
दादी के पोपले मुंह आशीष !
बाबुल के आँगन में,
मूंगफली के खेत उड़ती फुहारें
बाबुल के आँगन में
गुड धाणी झोली भर खूब !!
आती कोयल गीत गाये ,
गाती जाए,
बाबुल के आँगन में .........''तनु ''.
No comments:
Post a Comment