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Monday, June 2, 2014


करूणानिधि के नयन से झर झर बरसै नीर ,
अंसुवन जल में बह गयी,   श्रीदामा की पीर !
मुट्ठी तंदुल  के कारणे बिके ,   द्वारिकाधीश ,
भाव विव्हल हो बाँध रहे   धीरज मन अधीर  !! '' तनु ''

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