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Wednesday, June 11, 2014

बहुत रूपों में देखा हमने नारी को ,
अपनी पत्नी बहन बेटी महतारी को !
अमृतमय विश्वास जीवन में जब बहता हो,
और कुछ न चाहिए हर संसारी को !!

किसके त्याग गिनाऊं , मैं किसकी महिमा गाऊं,
कैसे मन उदगार प्रकट करूँ मैं कैसे मन समझाऊं !
यशोधरा ,विष्णुप्रिया हो रत्नावली , लोई ,  विद्योत्तमा , 
सबके हित आभार करूँ  मैं नित नित शीश नवाऊं !! ''तनु ''






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