बहुत रूपों में देखा हमने नारी को ,
अपनी पत्नी बहन बेटी महतारी को !
अमृतमय विश्वास जीवन में जब बहता हो,
और कुछ न चाहिए हर संसारी को !!
किसके त्याग गिनाऊं , मैं किसकी महिमा गाऊं,
कैसे मन उदगार प्रकट करूँ मैं कैसे मन समझाऊं !
यशोधरा ,विष्णुप्रिया हो रत्नावली , लोई , विद्योत्तमा ,
सबके हित आभार करूँ मैं नित नित शीश नवाऊं !! ''तनु ''
अपनी पत्नी बहन बेटी महतारी को !
अमृतमय विश्वास जीवन में जब बहता हो,
और कुछ न चाहिए हर संसारी को !!
किसके त्याग गिनाऊं , मैं किसकी महिमा गाऊं,
कैसे मन उदगार प्रकट करूँ मैं कैसे मन समझाऊं !
यशोधरा ,विष्णुप्रिया हो रत्नावली , लोई , विद्योत्तमा ,
सबके हित आभार करूँ मैं नित नित शीश नवाऊं !! ''तनु ''
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