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Sunday, June 22, 2014

रूप की अयि रूपसी ! छाया लिए कुछ धूप सी ,
बिंदी का चटकारा !!! लाल तारा लिए अनूप सी।,
कानों में झुमके माथे टीका ओ नथनिया सजाये हो !!!
बिन पायलिया तोरा सिंगार अधूरा ओ ! रूपसी  ………"तनु "

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