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Kaavya
Friday, June 20, 2014
नि :शब्द हूँ ,… तू जानता है मन की ,
शरण आन पड़ा हूँ , बात है जीवन की ,
एक बार फिर से सुना दे वंशी कान्हा तू !!!
जिसे सुन सुध बिसर जाए तन मन की। ………तनुजा ''तनु ''
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