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Tuesday, June 17, 2014



जब जाणिग्यो काया झूठी ,
जब जाणिग्यो माया झूठी ,
थारे सोचे कई नी है !! 
बीत्या ने विसरणो जाणे है ??


कई ?  तू रसातल जाणे है ?
तू तो तल भी नी जाणे है ?
हद सरहद में भूतल है !
मुक्ता माणिक कई जाने है ??


भटक्यो जीव हद सरहद तोड़े ,
त्रिशंकु आत्मा जीव नी छोड़े ,
सिव  रे कंठ हलाहल है !!
रसना रसिक कई जाणे है ??


जो पीव मिले सो जीव खिले ,
जग बंधन तोड़ी ने सिव मिले ,
हद सरहद रे पार आत्मा !! 
अनहद मस्ती तूं कई जाणे है ??

तनुजा ''तनु ''
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