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Thursday, June 12, 2014

कैसे गज़ब हो शिल्पकार ,

सुन्दर भावों के सृजनहार !

परिष्कृत प्यारे मनोभाव हैं, 

गीत प्यारा मधुर उपहार!

नम नयनों में पूनम आनन 

दिल को भाया ये संयोजन......

रहो ''अशोक ''संग अशोक

मान इसे पावन निरांजन.......... ''तनु ''

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