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Saturday, October 28, 2017

शब्दों के मोती थोड़े थे





शब्दों के मोती थोड़े थे
रो रो कर दिल ने जोड़े थे
जब हाथ पकड़ने की इच्छा थी
न जाने मुँह क्यों मोड़े थे ....

कभी कभी रूठो तो ठीक 
आँख मिचौली खेलो तो ठीक 
जब दिल तसल्ली चाहता था 
तब सारे रिश्ते तोडे  थे 
जब हाथ पकड़ने की इच्छा थी 
न जाने मुँह क्यों मोड़े थे .... 

इतने अज़ीज़ इतने क़रीब 
थे आप बस हमारे नसीब 
खुद को भूले भटके हम 
अब तो राह में रोडे थे 
जब हाथ पकड़ने की इच्छा थी 
न जाने मुँह क्यों मोड़े थे ....

रूठ  के दिल दुखाया है 
ये खुदा को नहीं भाया है 
अब गिरूँ तो कौन उठाये 
संग संग हम कितने दौडे थे 
जब हाथ पकड़ने की इच्छा थी 
न जाने मुँह क्यों मोड़े थे ....

अभी चाहतें बढती हैं 
साथ चलूँ ये कहती हैं 
देख तो लेते एक बार 
कब नयनन आँसू  छोड़े थे 
जब हाथ पकड़ने की इच्छा थी 
न जाने मुँह क्यों मोड़े थे ....तनु 

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